एक कोरोना सब पर भारी - हिंदी कविता

एक कोरोना सब पर भारी



corona ki hindi kavita


चीन से निकली यह चिंगारी 
चहुं  ओर  फैली  महामारी
मंत्री ,संत्री , जनता प्यारी 
एक कोरोना  सब पर भारी

देश - विदेश  बंद  है  सबतर
काम - धाम का रहा न अवसर
अगर  निकलिए  घर  से बाहर
मास्क लगा हो निश्चित मुँह पर

लाखों को यह लगी  बीमारी 
पता नहीं अब किसकी बारी
चीन से निकली यह चिंगारी
एक कोरोना  सब पर भारी

हो जवान बूढ़ा या बच्चा
सुनलो एक नियम यह सच्चा
घर में रहना सब से अच्छा 
अपनी और परिवार की रक्षा

सब से विनती यही हमारी
घर में रहे सब नर - नारी
चीन से निकली यह चिंगारी
एक कोरोना  सब पर भारी

सब्जी भाजी दूध दवाई 
कैसे जीओगे बिना सफाई
लगे है जो इस काम में भाई
हम सब इनकी करें बड़ाई

डॉक्टर,नर्स,पुलिस,अधिकारी
ये सब अपने पालनहारी
चीन से निकली यह चिंगारी
एक कोरोना  सब पर भारी

सोचो कैसा होगा वह पल
जब निज फसें कोरोना  दलदल
इस विकार का नहीं है कुछ हल
एक मंत्र खुद संभल - संभल चल

पालन करें नियम सरकारी
होगी निश्चित जीत हमारी
कहाँ कोरोना  सब पर भारी? 
हिंदुस्तान न माने हारी ||


आर. के. सिंह "समीर "









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