मन से डर नहीं जाता - गज़ल (Gazal)
घरों में कैद रह करके भी मन से डर नहीं जाता ,
कोरोना को कोरोना हो ये खुद क्यों मर नहीं जाता |
जिसे चाहो समय वैसा बहुत मुश्किल से आता है ,
कहो जाने को जिसको देर तक अक्सर नहीं जाता |
तुम्हारी बाजुओं में दम नहीं या जोश कुछ कम है ,
उछालों जिस तरह आकाश तक पत्थर नहीं जाता |
सुहानी धुप सर्दी की वो जबसे हो गयी अनबन ,
वो मेरे घर नहीं आती है में छत पर नहीं जाता |
नियम यह लॉकडाउन का बड़े ही मन से माना है ,
पड़ा हूँ घर में अपने मैं कभी बाहर नहीं जाता |
बुराई पीठ पीछे बहुत करता है "समीर " अब वो ,
No comments:
Post a Comment