मन से डर नहीं जाता - गज़ल

मन से  डर  नहीं  जाता -  गज़ल (Gazal)

hindi ki gazal





घरों में कैद रह करके  भी मन से  डर  नहीं  जाता ,
कोरोना को कोरोना हो ये खुद क्यों मर नहीं जाता |

जिसे चाहो समय वैसा  बहुत मुश्किल से आता है ,
कहो जाने को जिसको देर तक अक्सर नहीं जाता |

तुम्हारी बाजुओं में दम नहीं या जोश कुछ कम है ,
उछालों जिस तरह आकाश तक पत्थर नहीं जाता |

सुहानी  धुप  सर्दी की  वो जबसे  हो गयी  अनबन ,
वो  मेरे  घर  नहीं  आती है  में छत  पर नहीं जाता |

नियम  यह  लॉकडाउन का बड़े  ही मन से माना है ,
पड़ा  हूँ  घर  में   अपने  मैं  कभी  बाहर नहीं जाता |

बुराई पीठ पीछे  बहुत करता है  "समीर  " अब वो ,
मेरे  मुँह  से उलट  उसके  कोई  अक्षर नहीं  जाता ||


आर. के. सिंह "समीर "

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